Priyanka06

Add To collaction

लेखनी प्रतियोगिता -17-Oct-2022 कर्म बिना निरर्थक है इंसान

शीर्षक-कर्म बिना निरर्थक है इंसान


हे इंसान! क्यों डगमगाते तेरे कदम,
ना सोच तू कर निरंतर कर कर्म,
फिर क्यों करता चिंतन,
जीवन में अपना एक नई डगर,
हर मुकाम में होगा तू सफल।

कर्म ही है धर्म,
कर्म की करो पूजा,
कर्म ही सिखाता नैतिकता,
कर्म सिखाता मेहनत करना,
खून पसीना कर तू एक,
हर मुकाम में होगा तो सफल।

कर्म में रखो विश्वास,
कर्म से बढ़कर नहीं है दूजा,
करम है जिंदगी का स्थान,
कर्म ही है जीवन में महान,
कर्म से ही है ये संसार।
हर मुकाम में होगा तो सफल।

कर्म बिना निरर्थक है इंसान,
  भर जाता जब आलस,
कर्म नहीं देता उनका साथ,
वक्त से छूट जाता है हाथ,
सिर्फ रह जाता पश्चाताप।

मुकाम को है पाना,
तो मुसीबतों से है हमें टकराना,
कर्म का मार्ग है हमें अपनाना,
कर्म हमें यही सिखाता,
जिंदगी में आगे बढ़ना।

हर मुकाम में होगा सफल।।

लेखिका
प्रियंका

   18
6 Comments

Mahendra Bhatt

18-Oct-2022 12:59 PM

शानदार

Reply

Abhinav ji

18-Oct-2022 09:06 AM

Nice 👍

Reply

Punam verma

18-Oct-2022 08:12 AM

Nice

Reply